हे भगवान,

हे भगवान,
इस अनंत अपार असीम आकाश में......!
मुझे मार्गदर्शन दो...
यह जानने का कि, कब थामे रहूँ......?
और कब छोड़ दूँ...,?
और मुझे सही निर्णय लेने की बुद्धि दो,
गरिमा के साथ ।"

आपके पठन-पाठन,परिचर्चा एवं प्रतिक्रिया हेतु मेरी डायरी के कुछ पन्ने

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शनिवार, 31 जुलाई 2010

गिद्ध साहित्य की दूसरी किस्त

दोस्तों ,
            कुछ लोगों ने पहले भी मुझसे पूंछा था कि ये आपका गिद्ध साहित्य क्या है , तो यहाँ कोई इसे पूँछे उससे पहले ही आपको बता दूँ कि आजकल ज्यादातर गिद्ध आसमान से गायब होकर पूर्णतया धरती पर निवास करने लगें है, और तो और उन्होंने मानव जाति से प्रभावित होकर मानव का चोला भी धारण कर लिया है (मगर मन अभी भी उनका वही है पुराना वाला है), अब आखिर वो भी मानव हो चुकें है और उनकी संगत में कुछ मानव गिद्ध बनने में प्रयत्नशी हैं ,तो उनके लिए भी कुछ साहित्य होना चाहिए ना ? तो उसे कौन लिखेगा ,वो स्वयं तो अपने लिए लिखेगे नहीं ,तो मैंने बीणा उठाया है कहाँ तक उनके साथ न्याय कर पाया हूँ अब यह तो आप लोग ही बतायेगे ........

'गिद्ध' दिष्ट से देख रहे , कुछ लोग यहाँ औरों को हैं ।
कुछ लोग गिरे घायल होकर , तो छुधा मिटे उनके तन की ।
जितने ज्यादा लोग गिरे , उतना ही साम्राज्य बढ़े ।
मांस नोचने को शायद , उनका कुछ अधिकार बढ़े ।
पीकर रक्त दूसरो का , शायद कुछ मन की प्यास बुझे ।
औरों के क्षत-विक्षत अरमानो से , कुछ उनकी अपनी आस जगे ।

तो अगर लड़ रहे लोग यहाँ , कुछ बे-मतलब की बातों पर ।
क्या है जरुरत गिद्धों को ? , जो समझायें उनको जाकर ।
उनका काम चुपचाप देखना , घटित हो रही घटना को ।
अपनी बारी आने तक , मन पर संयम रखने को ।
डरते है अन्दर ही अन्दर , अपने मन मे सारे गिद्ध ।
कहीं समझ ना आ जाये , और थम ना जाएँ सारे युद्ध ।
कही पनप ना जाये हममे , सद-बुद्धि और भाई-चारा ।
अगर हो गया ऐसा कुछ तो , मर जायेगा गिद्ध बेचारा ।।

© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2010 विवेक मिश्र "अनंत" 3TW9SM3NGHMG

2 टिप्‍पणियां:

E-Guru _Rajeev_Nandan_Dwivedi ने कहा…

बहुत ही सही कविता लगी आपकी.
गिद्ध पर आपकी गिद्ध-दृष्टि अति भयंकरता से पड़ी है. :-)

Unknown ने कहा…

giddho k is jamane me,giddho pr gahri drishitipat rakhi hai aane.

आपके पठन-पाठन,परिचर्चा,प्रतिक्रिया हेतु,मेरी डायरी के पन्नो से,प्रस्तुत है- मेरा अनन्त आकाश

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आभार..

मैंने अपनी सोच आपके सामने रख दी.... आपने पढ भी ली,
आभार.. कृपया अपनी प्रतिक्रिया दें,
आप जब तक बतायेंगे नहीं..
मैं कैसे जानूंगा कि... आप क्या सोचते हैं ?
हमें आपकी टिप्पणी से लिखने का हौसला मिलता है।
पर
"तारीफ करें ना केवल, मेरी कमियों पर भी ध्यान दें ।

अगर कहीं कोई भूल दिखे ,संज्ञान में मेरी डाल दें । "

© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण


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